शिकायत निवारण तंत्र
हिल (इंडिया) लिमिटेड
प्रधान कार्यालय
नई दिल्ली
सं0सं0 ई.II.79 (मां.सं. नीति) 17 फरवरी, 2020
कार्यालय आदेश सं0 105/2020
विषय: शिकायत निवारण तंत्र ।
हिल (इंडिया) लिमिटेड में स्टाफ/कामगार एवं अधिकारियों के लिए शिकायत निवारण प्रक्रिया
प्रबन्धकीय एवं पर्यवेक्षीय कर्मचारियों के लिए सेवा नियम के अध्याय-VII, खंड-70 और कामगार के संबंध में यूनिटों/प्रधान कार्यालय के संबंधित प्रमाणित स्थायी आदेशों के अंतर्गत शिकायत प्रक्रिया उल्लिखित है । तथापि, कंपनी में शिकायत निपटान प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए निम्नलिखित विस्तृत ‘’शिकायत निवारण प्रक्रिया’’ को तत्काल प्रभाव से आरंभ करते हुए प्रबन्धन को हर्ष हो रहा है ।
1. उद्देश्य
शिकायत निवारण प्रक्रिया का उद्देश्य शिकायतों के निपटान के लिए सुलभ एवं सरल तंत्र प्रदान करना है और स्टाफ/कामगार और आधिकारियों की शिकायतों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए उपायों को अपनाना है, ताकि कार्य संतुष्टि बढ़े और जिसके परिणामस्वरूप संगठन की उत्पादकता और दक्षता में सुधार हो ।
2. प्रयोज्यता
यह योजना संगठन के सभी कर्मचारियों/कामगार और अधिकारियों को कवर करेगी, जो भी हिल (इंडिया) लिमिटेड की उपस्थिति पंजी पर हों ।
3. स्कोप
इस योजना के लिए ‘’शिकायत’’ का अर्थ केवल किसी स्टाफ/कामगार और अधिकारियों की कंपनी की नीति के क्रियान्वयन/नियम अथवा निर्णयों से उत्पन्न होने से संबंधित शिकायत होगा । व्यक्तिगत प्रवृत्ति की मजदूरी/वेतन भुगतान, छुट्टी, वेतन वृद्धि, कार्य स्थिति, कार्य समनुदेशन, कार्य व्यवस्था, नियमों के अंतर्गत लाभ का न बढ़ना, सेवा नियमों की व्याख्या, निपटान आदि से संबंधित अन्य मामले शिकायत में सम्मिलित होंगे ।
4. शिकायतों के निपटान के लिए प्रक्रिया
4.1 व्यथित कर्मचारी सर्वप्रथम व्यक्तिगत रूप से अपनी मौखिक शिकायत विभागाध्यक्ष को प्रस्तुत करेंगे और व्यथित कर्मचारी द्वारा लिखित में शिकायत प्रस्तुत करने के 7 दिन के भीतर संबंधित विभागाध्यक्ष द्वारा उसकी शिकायत का निपटान किया अथवा प्रतिउत्तर दिया जाएगा ।
4.2 यदि शिकायत का संतोषजनक निवारण नहीं हो पाता है, तो व्यथित स्टाफ/कामगार और अधिकारी लिखित रूप में अपनी शिकायत संबंधित विभागाध्यक्ष अथवा महाप्रबन्धक (मा.सं. एवं प्र.)/संगठन के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक द्वारा निर्धारित यूनिट के मानव संसाधन प्रमुख को प्रस्तुत करेंगे । ऐसे नामित प्राधिकरी अभ्यावेदन पर अपनी टिप्पणियां दर्ज करेंगे और शिकायत का सौहार्दपूर्ण रूप से समाधान अथवा निपटान न होने के मामले में, यदि आवश्यक हो, तो इसे शिकायत निवारण समिति के पास भेजेंगे । निम्नलिखित पैरा 4.3 में समाविष्ट प्रावधानों के अधीन शिकायत निवारण समिति की संस्तुति एक माह के भीतर निर्णायक प्राधिकारी अर्थात महाप्रबन्धक को प्रेषित की जाएगी और निर्णायक प्राधिकारी का निर्णय अंतिम होगा ।
4.3 विशिष्ट मामलों में, शिकायत निवारण समिति की सहमति के साथ व्यथित स्टाफ/कामगार/ अधिकारी, जिसकी शिकायत पर विचार किया गया है और जो निर्णायक प्राधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, के पास अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक के समक्ष अपील करने का विकल्प होगा । अपील की प्राप्ति के एक माह के भीतर ऐसी अपीलों पर निर्णय लिया जाएगा । अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक का निर्णय अंतिम होगा और व्यथित स्टाफ/कामगार/अधिकारी और प्रबन्धन पर बाध्यकारी होगा । अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक अंतिम निर्णय लेने से पूर्व मामले को जांच के लिए प्रधान कार्यालय की शिकायत निवारण समिति को भेज सकते हैं ।
4.4 निम्नलिखित दो श्रेणियों के अधिकारियों के संबंध में शिकायतें शिकायत निवारण समिति के कार्यक्षेत्र में नहीं होंगी । उनके मामलों में, प्रक्रिया निम्नानुसार है:-
i. बोर्ड स्तर से एक सोपान नीचे के अधिकारियों के मामले में, संबंधित निदेशक के समक्ष व्यक्तिगत रूप से शिकायत की जा सकती है ।
ii.अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक को सीधे रिपोर्ट करने वाले अधिकारी अपनी शिकायतें सीधे उन्हें प्रस्तुत कर सकते हैं ।
5. शिकायत निवारण समिति का संगठन
शिकायत समिति में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे :
प्रधान कार्यालय/क्षेत्रीय बिक्री कार्यालय के लिए
1. महाप्रबन्धक (मा.सं. एवं प्र.) : अध्यक्ष
2. महाप्रबन्धक (वित्त) : सदस्य
3. महाप्रबन्धक (विपणन) : सदस्य
4. विभागीय नामिती : समिति के अध्यक्ष द्वारा निर्णीत
यूनिटों के लिए
1. यूनिट प्रमुख : अध्यक्ष
2. विभागाध्यक्ष – मानव सांसाधन विभाग : सदस्य
3. विभागाध्यक्ष – वित्त : सदस्य
4. विभागीय नामिती : समिति के अध्यक्ष द्वारा निर्णीत
6. शिकायत निवारण समिति के स्कोप एवं प्रकार्य
i) माह में न्यूनतम एक बैठक ।
ii) समिति को प्रस्तुत की गई कथित अन्याय और व्यक्तिगत प्रकृति की अन्य शिकायतों के मामलों की जांच करना ।
iii) यदि, उनकी राय में, निर्णय तक पहुंचने के लिए आवश्यक हो तो प्रबन्धन/अधिकारी और संबंधित व्यक्ति से अतिरिक्त सूचना/स्पष्टीकरण प्राप्त करना ।
iv) बैठक के दौरान मौखिक सुनवाई प्रदान करना अथवा समिति के समक्ष प्रस्तुत लिखित पक्षसार पर विचार करना ।
v) कथित रूप से व्यथित ऐसे व्यक्तियों, जिनके मामले समिति को भेजे गए हैं, के मामलों की जांच अथवा पूछताछ अथवा कारण किसी भी अन्याय को दूर करने के दृष्टिकोण के साथ करना ।
vi) कथित अन्याय/शिकायत को दूर करने के लिए निश्चयात्मक निर्णय लेना और निर्णायक प्राधिकारी को अपनी संस्तुति प्रस्तुत करना ।
7. शिकायत निवारण समिति के
7.1 स्टाफ सदस्य/अधिकारियों को अपनी शिकायत तुरंत तथा किसी भी मामले में इसके उत्पन्न होने के 3 माह के भीतर प्रस्तुत करनी होगी ।
7.2 यदि शिकायत प्रबन्धन द्वारा दिए गए किसी आदेश के कारण उत्पन्न हुई है । अपनी शिकायत के लिए यहां निर्धारित प्रक्रिया का आह्वान करने वाले संबंधित स्टाफ/कामगार/अधिकारी के समक्ष कथित आदेश का अनुपालन किया जाना चाहिए ।
7.3 निम्नलिखित से उत्पन्न अथवा संबंधित शिकायत, शिकायत प्रक्रिया के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत नहीं आएंगी:-
क) विभागीय पदोन्नति समिति के कार्यवृत्त एवं निर्णयों सहित पदोन्नति ।
ख) जहां शिकायत किसी एक कर्मचारी या अधिकारी से संबंधित न हो ।
ग) न्यायालय एवं सतर्कता मामलों से संबंधित शिकायत ।
घ) स्थानांतरण से संबंधित शिकायत ।
ड) किसी स्टाफ सदस्य या अधिकारी को सेवा-मुक्त अथवा पदच्युति से उत्पन्न किसी भी शिकायत के मामले में ।
7.4 प्रबन्धकीय एवं पर्यवेक्षीय नियमों की शिकायतों से संबंधित या अनुशासनात्मक कार्रवाई से उत्पन्न या ऐसी किसी कार्रवाई के विरूद्ध अपील संगठन के प्रमाणित स्थायी आदेशों के अंतर्गत निर्धारित के सक्षम प्राधिकारी को भेजी जानी चाहिए और ऐसे मामलों में शिकायत निवारण प्रक्रिया लागू नहीं होगी ।
7.5 शिकायत निवारण समिति/ शिकायत निवारण समिति के अध्यक्ष को संदर्भित सभी शिकायतों की पदनामित अधिकारी द्वारा अनुरक्षण के प्रयोजन से रजिस्टर में प्रविष्टि की जानी चाहिए । अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक को प्रति माह निपटान या लंबित शिकायतों की संख्या की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी ।
7.6 विभागाध्यक्ष (मानव संसाधन) शिकायत प्रकोष्ठ के प्रभारी होंगे और शिकायत रजिस्टर और ऐसी शिकायतों से संबंधित पत्राचार रिकॉर्ड आदि का अनुरक्षण करेंगे और इस संबंध में संबंधित प्राधिकारियों से संपर्क करेंगे ।
शिकायत प्रपत्र डाउनलोड करें ।
(पी.सी. सिंह )
महाप्रबन्धक (मा.सं. एवं प्र.)